Murder or trap 4
अगले दिन सुबह कमिश्नर साहब के ऑफिस में एसपी सिटी अशोक और कमिश्नर दोनों ही किसी का इंतजार कर रहे थे। कमिश्नर अपनी कुर्सी पर बैठे हुए अपने हाथों और पैरों को बेचैनी से हिला रहे थे। वहीं एसपी अशोक पूरे केबिन में इधर से उधर बेचैनी से टहल रहे थे। दोनों ही बहुत ही ज्यादा बेसब्री से किसी का इंतजार कर रहे थे।
शायद यह वही कॉल वाला व्यक्ति था.. जिसने सुबह आने के लिए कहा था। वैसे तो वह व्यक्ति कुछ खास नहीं था.. लेकिन कई खास मौकों पर उसने पुलिस की नाक बचाई थी। इसीलिए जब भी इस तरह का पेचीदा केस सामने आता था तो वह पुलिस के तारणहार के रूप में कहीं ना कहीं से टपक ही पड़ता था।
एसपी सिटी अभी भी बेचैनी से इधर से उधर टहल रहे थे। कमिश्नर साहब पिछले 10 मिनट में 25 बार घड़ी देख चुके थे। कभी उनकी नजर दीवार घड़ी पर होती, कभी अपनी हाथ घड़ी पर, तो कभी बार-बार मोबाइल उठाकर उसमें टाइम देख रहे थे।
"अशोक.. तुम यहां आकर बैठ जाओ..! तुम्हें ऐसे टहलते देख मुझे टेंशन हो रही है। एक बात बताओ वह अभी तक आया क्यों नहीं..??" जब कमिश्नर ने यह सवाल किया तो एसपी अशोक एकदम से रुके और कमिश्नर के सामने रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गए।
"सर..! इतनी बेचैनी से किसी का इंतजार मैंने आज दिन तक नहीं किया। आपको क्या लगता है कि हमारा उस पर भरोसा करना ठीक रहेगा..??" एसपी अशोक ने बहुत ही व्यग्रता से पूछा।
"अशोक..! इस वक्त हमें किसी लाइफ लाइन की जरूरत है और वह खुद से चलकर हमारे पास आया है.. इसलिए ना करने का तो सवाल ही नहीं उठता। और वैसे भी हमारे पास कोई दूसरा चारा भी तो नहीं है।" कमिश्नर ने कहा तो एसपी अशोक ने कमिश्नर साहब की बातों में सहमति जताते हुए गर्दन हाँ में हिलाई।
"पर एक बात तो कही जा सकती है कि वह आदमी भरोसेमंद है.. और उस का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए शक की कोई गुंजाइश ही नहीं है। लेकिन एक बात है.. जो हमेशा खटकती है वह यह वो कि वो बहुत ज्यादा शॉर्ट टैम्पर्ड है। इस वक्त जिस केस के बारे में हम सोच रहे हैं उसमें ऑफिसर का शांत और सोच समझकर फैसला करने वाला होना चाहिए।" कमिश्नर ने अपनी बात कही।
"हां सर..! बिल्कुल सही कह रहे हैं आप!! पर ऐसा और कोई है भी तो नहीं.. जिसे इस केस पर अप्वॉइंट कर सके और वह बिना मीडिया को ख़बर लगे इस केस को सॉल्व कर सकें।" एसपी अशोक ने उन्हें ज़वाब दिया।
कमिश्नर और एसपी दोनों आपस में बात कर ही रहे थे कि बाहर से पीयून ने आकर एक कार्ड कमिश्नर साहब को दिया। कमिश्नर उस कार्ड को देखकर हैरान रह गए और उन्होंने उस पीयून की तरफ देख कर आगंतुक को अंदर भेजने का इशारा किया।
एसपी सिटी ने पूछा, "क्या हुआ सर..! कौन है..??"
एसपी सिटी के पूछने पर कमिश्नर ने वह कार्ड एसपी अशोक की तरफ बढ़ा दिया और उस कार्ड को देखते ही सेम एक्सप्रेशन एसपी अशोक के चेहरे पर भी आ गए।
पीयून के जाने के लगभग 2 ही मिनट के बाद एक 28-30 साल के नौजवान ने केबिन में एंटर किया।
वह एक 6 फुट हाइट, जिम में घंटों मेहनत करके बनाई हुई बॉडी, छोटे-छोटे स्टाइलिश कटे हुए बाल, चेहरे पर हल्की सी दाढ़ी, आंखों पर रेबन के ग्लासेस, वाइट टीशर्ट के साथ नेवी ब्लू डेनिम और उस पर वाइट कलर का ब्लेजर, हाथों में महंगी स्पोर्ट्स वॉच और स्पोर्ट्स शूज पहने हुए बहुत ही स्मार्ट बंदा था। बहुत ही अदा से वो अपने हाथों में अपने मोबाइल को गोल-गोल घुमा रहा था।
उसे देखते ही कमिश्नर और एसपी की आंखों में चमक आ गई।
कमिश्नर ने उससे कहा, "आओ रूद्र..!! सो गुड टू सी यू..!! कहां रहे इतने दिन..??"
उस लड़के रुद्र ने भी बहुत ही नजाकत से अपनी गर्दन एक तरफ झुकाते हुए जवाब दिया।
"बस सर..!! ऐसे ही किसी केस की तलाश में था.. जिसकी वजह से वापस आपके सामने बैठने का सुनहरा मौका मिल सके..!!"
यह सुनते ही कमिश्नर और एसपी अशोक के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई।
"रूद्र..! यह बताओ कि तुम्हें इस केस के बारे में पता कैसे चला..??"
"क्या सर..!! आप लोग तो मुझे जानते ही हो..! रूद्र अपने काम की खबर और अपने मतलब का केस कैसे भी ढूंढ ही निकलता है..! और वैसे भी यह केस तो मेरे लिए बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है।" रुद्र ने बातों को घुमाते हुए ज़वाब दिया।
"ऐसा क्यों..!!" एसपी सिटी ने उसकी बातों का मतलब ना समझते हुए सवाल किया।
"अब सर यही केस तो मुझे अपनी नौकरी वापस दिलाएगा..!!" रुद्र अभी भी बातें घुमा ही रहा था।
"कहना क्या चाहते हो रूद्र..!!" कमिश्नर ने सवाल किया।
"सर अपनी 5 साल की नौकरी में.. 25 बार सस्पेंड हो चुका हूं और इस वक्त भी सस्पेंडेड ही हूं। तो अगर मैं यह केस सॉल्व करता हूं तो मेरी नौकरी तो मुझे वापस मिलेगी ही।" रूद्र ने हंसते हुए जवाब दिया।
रूद्र के जवाब को सुनकर एसपी सिटी अशोक और कमिश्नर दोनों ही हैरान रह गए थे। और होते भी क्यों ना.. रूद्र उनके महकमे का सबसे तेज तर्रार और हाजिर जवाब लेकिन अड़ियल किस्म का ऑफिसर था। साल में 8 महीने वह सस्पेंडेड ही रहता था। कारण था... उसके काम करने का तरीका।
हर केस को साॅल्व के बाद उसे लंबी छुट्टी पर भेज दिया जाता था.. सस्पेंड करके। लेकिन फिर भी जब भी कोई पेचीदा केस सामने आता था तो सिर्फ एक नाम ही सामने आता था.. वह था रूद्र..!!
"ठीक है..! हम तुम्हें यह केस दे सकते ..हैं लेकिन हमारी एक शर्त है!!" कमिश्नर ने कहा।
"सॉरी सर..!" रुद्र ने कमिश्नर की शर्त वाली बात सुनकर चौंकते हुए पूछा।
"एक बात कहूं.. बुरा ना मानियेगा। सर.. इस वक्त आप लोग शर्त रखने की कंडीशन में नहीं हो।" ऐसा कहकर रूद्र हंस पड़ा।
वैसे तो रूद्र इस वक्त सस्पेंडेड था। पर अगर ना भी होता तो इस बदतमीजी की वजह से उसे जरूर सस्पेंड कर दिया जाता।
कमिश्नर ने रूद्र घूरा तो रुद्र ने कहा, "सॉरी सर..!! पर जो मैंने कहा है वह बिल्कुल ठीक है। इस वक्त पुलिस के पास इस केस को सॉल्व करने के लिए कोई भी नहीं है और पुलिस इस बारे में किसी से बात करने की हालत में भी नहीं है। अगर गलती से भी किसी को इस केस के बारे में पता चला तो पुलिस कहीं मुंह दिखाने लायक भी नहीं बचेगी।" रूद्र ने कहा।
इस बात पर कमिश्नर ने रूद्र को डांटा और कहा, "बिहेव रूद्र..!! तुम्हें इस बात का ध्यान होना चाहिए कि तुम अपने सीनियर के सामने बैठे हो।"
"सर साथ में सस्पेंडेड भी हूं।" रूद्र ने तुरंत इस बात का जवाब दिया।
"वह सब छोड़ो.. अब काम की बात पर आते हैं।" एसपी सिटी ने उन दोनों को बीच में ही रोकते हुए कहा।
"बिल्कुल सर..!! बताइए..??" रुद्र ने सीरियस होकर पूछा।
"तुम्हारा कहना है कि तुम्हें दीप की वाइफ के केस के बारे में सब कुछ पता है।" एसपी अशोक ने सवाल किया।
"सर सब कुछ तो नहीं पता.. हाँ..! लेकिन इतना पता है कि जो दिख रहा है.. वह है नहीं और जो है.. वह दिखाई नहीं दे रहा।" रुद्र का अब पूरा ध्यान केस की गंभीरता पर था.. रुद्र ने पूरी गंभीरता से उनके सवाल का जवाब दिया।
"मतलब..?? कहना क्या चाह रहे हो..??" कमिश्नर ने पूछा।
"सर पब्लिकली दीप जिसे अपनी पत्नी बताता था.. वह उसकी पत्नी है नहीं। और जो सच में उसकी पत्नी है उसे किसी ने देखा नहीं.. ना ही तो वो आज तक किसी पब्लिक गैदरिंग में गई। अगर ऐसा है तो सवाल यह उठता है कि दीप ने अब तक उसे छुपाकर क्यों रखा था..?? और तो और अब पहले उसने अपनी वाइफ की मिसिंग कंप्लेंट दर्ज करवाई और उसके बाद अब खुद ही रिटर्न में एप्लीकेशन दी केस को क्लोज करने की..?? आपको क्या ये कोई साधारण बात लगती हैं क्या..??"
रुद्र की बात सुनकर कमिश्नर और एसपी दोनों ही सोच में पड़ गए थे रुद्र का कहना बिल्कुल ठीक था। इस वक्त जो भी पॉइंट रूद्र ने उठाए थे वह बिल्कुल ही लॉजिकल थे।
"तो तुम क्या कहते हो इस केस के बारे में..?" कमिश्नर ने पूछा।
"सर मिसिंग कंप्लेंट सिर्फ ऊपरी तौर पर दिखाने के लिए की गई थी। इस बात की तह में बहुत से राज छुपे होंगे और यह भी हो सकता है कि अनीता के गायब होने में दीप का ही हाथ हो। चाहे वह डायरेक्टली हो या इनडायरेक्टली!!' रूद्र ने बताया।
"तो फिर क्या करना चाहिए.. हमें??" कमिश्नर ने फिर से गेंद रुद्र के पाले में ही डालते हुए कहा।
इस वक्त कमिश्नर चाहते थे कि जो भी ऑफिसर इस केस पर काम करें.. सबसे पहले तो उसकी पहचान छुपा कर रखी जाए और दूसरा वो इस केस की छानबीन बिना मीडिया की नजर में आए करें। कहने का मतलब था कि कमिश्नर चाहते थे कि केस की इन्वेस्टिगेशन ऐसे हो कि किसी को पता भी ना चले और सारे सबूत भी पुलिस के पास आ जाए। चाहे वह केस किसी भी दिशा में जाए.. चारों ही तरफ के दरवाजे उस केस के लिए खुले रखे गए थे। मतलब था कि अगर अनीता का कत्ल हुआ है तो कातिल पकड़ा जाए। और अगर कत्ल नहीं हुआ है तो उसी तरह बिना किसी शोर के वैसे ही शांति से केस बंद कर दिया जाए जैसे इस वक्त बंद था।
"ठीक है..! मैं आपकी शर्त मानकर इस केस को अंडर कवर रहकर ही सॉल्व कर दूंगा। लेकिन मेरी भी एक शर्त है।" रूद्र ने कहा।
"क्या शर्त है तुम्हारी..??" कमिश्नर साहब का सवाल आया।
"ज्यादा बड़ी शर्त नहीं है सर..!! मैं बस इतना चाहता हूं की इस केस को सॉल्व करने पर मुझे मेरी नौकरी वापस मिल जाए।" रुद्र ने अपनी शर्त बताई।
"ठीक है..! मिल जाएगी..! और कुछ..!!" कमिश्नर साहब ने पूछा।
"नहीं सर..! फिलहाल तो यही बहुत है।" रुद्र ने कहा।
"तो फिर ठीक है..!! इस केस को सॉल्व कर दो.. तुम्हें तुम्हारी नौकरी मिल जाएगी।" कमिश्नर साहब ने रूद्र को आश्वासन दिया।
"ओके सर..! पर इस केस की डिटेल्स कहां से मिलेंगी मुझे..?" रुद्र ने पूछा।
"ऐसा है.. इस केस की सारी जानकारी तुम्हें इंस्पेक्टर मृदुल के पास मिलेंगी। वही इस केस को लीड कर रहे थे।" कमिश्नर साहब ने बताया।
"ओके सर.. मैं सारी डिटेल्स मृदुल से ले लूंगा। पर एक बात है.. मुझे इस केस के सिलसिले में दीप के घर जाना होगा और अगर मैं छुप कर गया तो मुझे चोर समझा जाएगा। अब आप बताइए की मैं क्या करूं..?" रुद्र ने अपनी परेशानी कमिश्नर साहब को बताई।
"अरे यार..! जैसे तुमने केस के बारे में इतना सब कुछ पता कर लिया। वैसे ही अंदर जाने का भी कोई जुगाड़ लगा लो।" अब कमिश्नर साहब भी रुद्र को तंग करने के पूरे मूड में आ गए थे।
"वह तो मैं कर लूंगा सर..! लेकिन सोचा है अगर मैं पकड़ा गया तो.. क्या हो सकता है..??" रुद्र ने कमिश्नर साहब का ध्यान उस बात की तरफ खींचा।
रुद्र और कमिश्नर साहब दोनों ही एक दूसरे को तंग कर रहे थे और उन दोनों की नोकझोंक का एसपी अशोक शांति से बैठकर आनंद ले रहे थे। दरअसल रुद्र कमिश्नर साहब का फेवरेट ऑफिसर था और कमिश्नर को उससे बहुत लगाव भी था बिल्कुल अपने बेटे की तरह ही.. तो कभी कभी कमिश्नर साहब भी रुद्र को छेड़ने का मौका नहीं छोड़ते थे। और रही बात रुद्र को तो वो तो ऐसे मौके खुद ही बना लेता था।
"क्या हो सकता है..??" कमिश्नर साहब ने पूछा।
"ज्यादा कुछ नहीं सर..!! लोगों को यह पता चल जाएगा कि पुलिस आजकल नाकाम क्यों हो रही है। और जब उन्हें पता चलेगा कि पुलिस का एक ऑफिसर दीप के घर चोरी करते हुए पकड़ा गया.. तब..??" यह सुनते ही कमिश्नर साहब जो इतनी देर से रूद्र को तंग करने के मूड में थे.. एकदम से टेंशन में आ गए।
"मतलब..! अब तुम यह कहना चाहते हो कि तुम वहां जानबूझकर पकड़े जाओगे और यह बताओगे कि तुम चोरी से दीप के घर में इन्वेस्टिगेशन के लिए गए थे।" कमिश्नर साहब ने हैरानी से पूछा।
"ऐसा तो मैंने नहीं कहा.. मैं तो बस इतना कह रहा था कि अगर भगवान ना करे मैं पकड़ा गया तो..??" रूद्र ने कमिश्नर साहब को परेशान करने के उद्देश्य से कहा।
"ठीक है..!! ठीक है..!! मैं दीप बोल दूंगा कि इस केस के इन्वेस्टिगेशन के लिए कोई नया ऑफिसर आ रहा है। अब ठीक है..!! और मैं मृदुल को भी बोल दूंगा के वो इस केस में तुम्हें असिस्ट करे।" कमिश्नर साहब ने कहा।
"बिल्कुल... अब तो ठीक से भी ज्यादा ठीक है सर।" रुद्र ने जवाब दिया।
"तो फिर ठीक है.. यह बताओ यह केस कब तक साॅल्व हो जाएगा..??" अब की बार एसपी साहब से सवाल किया।
"जितनी जल्दी हो सके सर..! मैं जल्द से जल्द इस केस को सॉल्व कर दूंगा। पर आप अपना वादा याद रखियेगा कि आपको मेरा सस्पेंशन वापस लेना है।" रूद्र ने जाते जाते फिर से कमिश्नर साहब को याद दिलवाया।
"बिल्कुल..! जैसे ही तुम यह केस सॉल्व करते हो. वैसे ही तुम्हारा सस्पेंशन कैंसिल हो जाएगा और तुम फिर से ड्यूटी ज्वाइन कर पाओगे।" कमिश्नर साहब ने कहा।
"तो फिर ठीक है सर..!! मैं अभी से इस केस पर लग जाता हूं और अब तो जल्द से जल्द इसे सॉल्व करना होगा।" रुद्र ने बाहर जाते हुए कहा।
इतना कहकर रुद्र कमिश्नर ऑफिस से निकल गया।
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लंच का टाइम हो रहा था.. दोपहर के 2 बज रहे थे। एक तो लंच टाइम और दूसरा कल मृदुल और चिराग के द्वारा किया गया कारनामा दोनों ही वजहों से आज चौकी में बहुत ही ज्यादा भीड़भाड़ और अफरा तफरी का माहौल था। बहुत से लोग इधर उधर भाग रहे थे। बहुत सारे रिपोर्टर्स वहां पर जमा थे.. कारण था कल का मृदुल और चिराग का किया गया कारनामा। अधिकतर लोग उसी के सिलसिले में बधाई देने आए थे।
कुछ लड़कियां वहां पर अपने माता-पिता के साथ आई थी, तो कुछ स्कूली बच्चे और कॉलेज स्टूडेंट भी वहां पर इकट्ठे होकर चिराग और मृदुल का इंतजार कर रहे थे। इतने सारे पुलिस स्टाफ के होने के बाद भी वहां पर कोई भी बस में ही नहीं आ रहा था। गुलदस्तों के तो ढेर लगे हुए थे और थैंक यू कार्ड्स की तो गिनती ही नहीं थी।
यह सब कुछ देख कर रुद्र थोड़ा कंफ्यूज दिख रहा था। दरअसल रूद्र को भी अंदाजा नहीं था कि कल जो मृदुल और चिराग ने किया था.. उसके बाद लोगों का ऐसा रिएक्शन हो सकता था। रूद्र को अब लगने लगा था कि जनता में जागरूकता आ रही थी। धीरे धीरे वह लोग अपने आसपास के होने वाले क्राइम्स के प्रति सतर्क और सजग हो रहे थे। साथ ही साथ उनमें पुलिस की मदद करने की भी भावना आने लगी थी। इसी वजह से धीरे-धीरे क्राइम रेट कम होने लगी थी।
रूद्र इस वक्त पुलिस स्टेशन के बाहर खड़ा सब कुछ देख रहा था। उसे भी कल किए गए मृदुल और चिराग के कारनामे पर गर्व हो रहा था। धीरे धीरे लोगों की भीड़ को चीरते हुए रुद्र जब पुलिस स्टेशन के अंदर जा ही रहा था कि तभी एक कांस्टेबल ने उसे रोक दिया।
"सॉरी सर..! इस वक्त आप अंदर नहीं जा सकते.. इंटरव्यू के लिए मीडिया को शाम को 5:00 बजे का टाइम दिया गया था। उसी में इंस्पेक्टर मृदुल और सब इंस्पेक्टर चिराग कल के इंसिडेंट के बारे में हर डिटेल और सबूत आपको दिखा देंगे। सो प्लीज आपको 5:00 बजे तक का वेट करना ही होगा।"
रुद्र ने ऊपर से नीचे तक कांस्टेबल को देखा और उससे पूछा, "एक बात बताओ.. मैं तुम्हें किस एंगल से रिपोर्टर नजर आ रहा हूं..? ना तो मेरे पास कैमरा है.. ना कोई राइटिंग पैड.. और ना ही मेरे साथ कोई और है..?? रिपोर्टर्स अकेले जाते है इंटरव्यू के लिए..?"
इस सवाल पर कांस्टेबल हड़बड़ा गया और बोला, "ओह..! आपको कंप्लेंट फाइल करनी है.. सर आप गलत डायरेक्शन में जा रहे हैं.. आपको लेफ्ट में हेड कांस्टेबल अमित होंगे.. उनसे मिलना होगा.. वही आपकी कंप्लेंट लिखेंगे।"
रूद्र ने फिर से कांस्टेबल को घूरते हुए कहा, "या तो तुम सुबह सुबह कुछ भांग वांग खाकर आए हो.. या फिर कल के कारनामे के बाद कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड हो..!! इसलिए ही तुम्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या कहना चाहिए और क्या नहीं..?"
"क्या मतलब है आपका..?" कांस्टेबल ने परेशान होते हुए पूछा।
"मेरा मतलब है.. कि मैं मृदुल से मिलने आया हूं.. और मुझे कमिश्नर साहब ने भेजा है। अगर अब तुम्हारी परमिशन हो तो मैं अंदर जाऊं..?" रूद्र के इतना बोलते ही कॉन्स्टेबल एक साइड हो गया और उसे अंदर जाने की जगह दे दी।
रूद्र सीधा चलते हुए मृदुल के केबिन में पहुंच गया। उस वक्त मृदुल और चिराग दोनों ही केबिन में बैठे कल हुई रेड के बारे में ही बात कर रहे थे।
मृदुल ने कहा, "चिराग एक बात बताओ.. वह सब कुछ तो ठीक है पर कल जो तुम्हें इंफॉर्मेशन मिली थी.. इतनी बड़ी इंफॉर्मेशन आज तक तो तुम्हें कभी नहीं मिली। किसने खबर दी थी तुम्हें..?"
चिराग के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था.. क्योंकि चिराग के पास एक अननोन नंबर से कॉल आई थी और उसी ने वहां के बारे में सारी बातें और सबूत के लिए फोटोज और वीडियोज भेजे थे। पर उस आदमी ने अपनी आइडेंटिटी नहीं बताई थी।
इससे पहले कि चिराग कुछ कहता रूद्र ने केबिन में आते हुए जवाब दिया,
"वह इंफॉर्मेशन मैंने दी थी..!!"
वो आवाज सुनते ही मृदुल और चिराग दोनों ही चौंक गए थे। जैसे ही उन्होंने गर्दन घुमा कर दरवाजे की तरफ देखा तो रूद्र को दरवाजे पर खड़ा पाया। उसे वहां देख कर मृदुल और चिराग दोनों ही बहुत ज्यादा गुस्से में थे।
"तुम्हें परमिशन किसने दी यहां आने की..??" चिराग में गुस्से में कहा।
इस पर रूद्र ने एक आईब्रो ऊपर करके चिराग को घूरा और उसके बाद एक नजर मृदुल पर डाली। मृदुल के चेहरे पर भी क्रोध के भाव ही दिख रहे थे। उन दोनों को गुस्सा देखकर रूद्र थोड़ा कंफ्यूज हो गया था।
"यार एक बात बताओ.. पुलिस वाले तो उनके मुखबिरों को पैसे वैसे भी देते है और खाने पीने के लिए भी पूछते हैं। तुम लोग कैसे पुलिस वाले हो..?? एक तो मैंने तुम्हारी इतनी ज्यादा हेल्प की और तुम हो कि मुझ पर ही गुस्सा हो रहे हो..!!" रूद्र ने पूछा।
"नहींऽऽऽ..!! तुम्हारी तो आरती उतारनी चाहिए हमें तो..! हमें तो.. तुम्हारे पैर धो धोकर पीने चाहिए। अगर आप नहीं होते तो हम तो इस जन्म में यह केस सॉल्व ही नहीं कर पाते। यही कहना चाहते हो ना..??" मृदुल ने गुस्से से कहा।
"नहीं..! नहीं..!! मेरा मतलब वह नहीं था..?" रुद्र ने एकदम से हकलाते हुए जवाब दिया।
"पर..?? क्या पर हां बोलो.. पर का क्या मतलब होता है?? हद है.. एक तो जबरदस्ती केबिन में घुस आए और दूसरा अपनी तारीफ खुद ही कर रहे हो। हो कौन तुम..??" चिराग ने कहा।
"वैसे अपने मुंह से अपनी तारीफ करने की आदत तो नहीं है मुझे..! इसलिए तारीफ तो आप लोगों को ही करनी होगी मेरी।" रूद्र ने वहां रखी कुर्सी खींच कर बैठते हुए कहा।
"अरे..!! अरे..! तुम्हें यहां बैठने के लिए किसने कहा है?? हम बिजी हैं जाओ.. बाद में आना।" चिराग ने रुद्र को बैठने से रोकते हुए कहा। रुद्र ने चिराग को घूरा और वही कुर्सी लेकर बैठ गया।
मृदुल और चिराग दोनों ही हाथ बांधे खड़े थे और कुर्सी पर बैठे रूद्र को घूर रहे थे। उन्हें इस तरह अपने आप को घूरता देख रुद्र ने पूछा, "अगर तुम लोगों का मुझे ऐसे घूरना हो गया हो.. तो कुछ चाय, पानी, नाश्ता भी पूछ लो..!!"
"चाय.. पानी.. क्यों...?? नाश्ता.. खाना.. डेजर्ट सब कुछ खिलाते हैं तुम्हें..??" ऐसा कहकर मृदुल ने रूद्र को कॉलर से पकड़ कर उठा लिया और 2 मुक्के उसके पेट में जमा दिये। मुक्का पड़ते ही रूद्र दोहरा हो गया। उसके झुकते ही चिराग ने उसकी पीठ पर 2-3 घौल जमा दी।
"अरे.. अरे.. बच्चे की जान लोगे क्या..??" रूद्र ने पूछा।
"हां..! हम तुम्हारी जान लेने के लिए ही तो बैठे हैं यहाँ।" मृदुल ने कहा।
"हाय..! यही डायलॉग कोई लड़की बोलती तो कितना आनंद आता.. पर कोई बात नहीं जब तक कोई लड़की नहीं मिल रही तो मैं तुम ही से काम चला लूंगा।" ऐसा कहते हुए रुद्र मृदुल की तरफ बढ़ा और जाकर मृदुल का चेहरा पकड़ लिया।
उसका ऐसा करते ही चिराग बीच में ही कूट पड़ा और बोलने लगा, "बस कर यार..!! शक्ल देख मुदुल की.. कितनी लाल हो गई है। अगर 2 मिनट और तूने उसे पकड़ कर रखा तो यह बिल्कुल पका हुआ टमाटर होकर.. फूट जाएगा।" चिराग ने मृदुल की टांग खींचते हुए कहा।
चिराग के इतना कहते ही रूद्र ने चिराग को हाई-फाई दी और दोनों ही जोर जोर से हंसने लगे। मृदुल भी उनके साथ उनकी हंसी में शामिल हो गया था.. तीनों ही हंस रहे थे।
"चल बैठ जा.. चाय नाश्ता मंगाता हूं तेरे लिए!!" मृदुल ने कहा और घंटी बजा कर बाहर से किसी को बुलाया। बाहर से कॉन्स्टेबल अंदर आया और पूछा,
"जी सर..!!"
"एक काम करो 4 चाय और कुछ खाने के लिए अच्छा सा ले आओ!!" मृदुल ने अपने वॉलेट से पैसे कॉन्स्टेबल को देते हुए कहा।
"जी सर..! अभी लाया!" कहकर कॉन्स्टेबल बाहर चला गया और मृदुल, चिराग और रूद्र तीनों बातें करने लगे।
रूद्र, चिराग और मृदुल तीनों पुलिस अकेडमी में ही दोस्त बने थे। वैसे यह तीनों एक दूसरे को कॉलेज टाइम से जानते थे पर इनकी दोस्ती ट्रेनिंग के समय ही हुई थी.. तब से यह तीनों बहुत ही पक्के दोस्त रहे थे। मृदुल और चिराग की पोस्टिंग एक ही चौकी में पिछले 6 महीने से थी। जहां मृदुल 6 महीने पहले प्रमोशन पर आया था। इस केस के साॅल्व होने के बाद चिराग और मृदुल दोनों को ही प्रमोशन मिलने वाला था।
और रहा रूद्र..! तो उसका कोई भी प्रॉपर ठिकाना नहीं था.. वह कभी यहां.. तो कभी वहां रहता था। 5 साल की नौकरी में बीस ट्रांसफर और 25 बार सस्पेंड हो चुका था। कारण भी था... उसका बहुत ही ज्यादा गुस्सैल और ईमानदार ऑफिसर होना.. इसीलिए तो वह इन दोनों से सीनियर था। फिलहाल रुद्र एसीपी की पोस्ट से सस्पेंडेड चल रहा था। इन तीनों की दोस्ती में इनका ओहदा कभी भी बीच में नहीं आया था। पूरे डिपार्टमेंट में इन तीनों की दोस्ती के किस्से मशहूर थे।
इधर उधर की बातें चल ही रही थी कि चाय, नाश्ता लेने गया कांस्टेबल चाय, समोसा और रुद्र का फेवरेट वडा पाव भी लेकर वापस आ गया था। उसने चाय और नाश्ता तीनों को दिया तो रूद्र ने एक समोसा और चाय कांस्टेबल को भी दी।
कॉन्स्टेबल लेने से मना कर रहा था पर रूद्र ने जबरदस्ती उसे दे दिया। कॉन्स्टेबल रुद्र को थैंक यू बोल कर बाहर चला गया। तीनों दोस्त चाय नाश्ता करते हुए गॉसिप कर रहे थे।
चाय नाश्ते के बाद मृदुल ने पूछा, "एक बात बता..! उस बार के बारे में तुझे कैसे पता??" रूद्र ने वडा पाव की लास्ट बाइट चबाकर हाथ झाड़ते हुए कहा, "अब यार..! पिछले 2 महीने से सस्पेंडेड हूं.. कुछ काम तो था नहीं.. तो सोचा तुम्हारी हेल्प कर दूं। यही सोच कर मैंने वहां से सारे सबूत इकट्ठा किये। इन सबके लिए तुम्हें मुझे थैंक्यू बोलना चाहिए था.. पर तुम हो कि सवाल पर सवाल किए जा रहे हो!!"
"अच्छा तो तुझे थैंक्यू सुनना है..!!" मृदुल ने अपनी आइब्रोज रेज़ करके पूछा।
"हां अगर तू बोल सके तो..?" रुद्र ने भी वैसे ही ज़वाब दिया।
"ओके..!! ओके..!! तुम दोनों बहस मत करो। रूद्र को थैंक्यू सुनना है.. ना तो मैं बोल देता हूं..! थैंक यू रूद्र..! ओह सॉरी.. थैंक्स एसीपी रूद्र साहब..!! हम आपके बहुत-बहुत शुक्रगुजार हैं कि आपने हमें सबूत और सही टाइम पर टिप देकर बहुत सी लड़कियों की इज्जत और बहुत से युवाओं को ड्रग्स के चक्कर में बर्बाद होने से बचा लिया।" चिराग ने बहुत ही ज्यादा ड्रामा करते हुए हाथ जोड़कर कहा।
तीनो के तीनो इसी बात पर जोर से ठहाका लगा कर हंस पड़े। कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद मृदुल ने पूछा, "एक बात बता.. वैसे तो तू यहां आने से रहा.. जरूर कुछ ना कुछ काम तो होगा?"
रूद्र ने भी संजीदा होते हुए कहा, "हां..! मैं अनऑफिशियली दीप की वाइफ का मिसिंग केस लीड करूंगा।"
यह सुनते ही चिराग और मृदुल एकदम शाॅक्ड हो गए।
"क्या मतलब है..? वह कैस तो दीप के कहने पर क्लोज हो चुका है। तो अब फिर से इस सब का क्या मतलब है?" चिराग ने कन्फ्यूजन में पूछा।
"मतलब यह है मेरी जान..! कल ही किसी अननोन का कमिश्नर साहब को कॉल आया था और उसके हिसाब से दीप की वाइफ मिसिंग नहीं है बल्कि उसका मर्डर हो चुका है।" रुद्र ने खुलासा किया।
"क्याऽऽऽ..???"
यह सुनते ही मृदुल और चिराग बहुत ही ज्यादा सदमे में थे।
"हां यह सही है..! उस आदमी ने यही कहा था कि दीप की वाइफ का मर्डर हो चुका है। अब कमिश्नर साहब चाहते हैं कि मैं इस केस को इन्वेस्टिगेट करूं।" रुद्र ने बात क्लियर की।
"तो तुम यह सब कैसे करोगे..?" चिराग ने पूछा।
"करना क्या है.. इन्वेस्टिगेट करूंगा और क्या??" रूद्र ने उस सवाल को बहुत हल्के में लेते हुए जवाब दिया।
"वह तो ठीक है तुम कर ही लोगे। हम बस इतना जानना चाहते थे कि वह तुम करोगे कैसे??" चिराग ने पूछा।
" तुम्हारी मदद से..!!" रूद्र ने तपाक से जवाब दिया।
"अब मैंने कल तुम्हारी हेल्प की थी तो अब तुम मेरी हेल्प कर देना।" रूद्र ने कहा।
"ओह.. तो तू यहाँ हिसाब बराबर करने आया है..!!" चिराग ने चिढ़ कर कहा।
"नहीं..! हिसाब बराबर करने नहीं आया.. पर तुम दोस्त हो ना और अभी मैं सस्पेंडेड भी हूं। तो इतनी सी मदद तो दोस्त की कर ही सकते हो.. कि उसको उसकी नौकरी वापस मिल जाए।" रूद्र फिर से बातें गोल घुमाते हुए कहा।
"ठीक है..! ठीक है..! अब मजाक नहीं। अब सीरियसली बता ऐसा क्या पता करना था??" मृदुल ने पूछा।
"मुझे इस केस की सारी डिटेल्स दे दो और हां कमिश्नर साहब दीप से बात कर लेंगे तो तुम दोनों शाम को मेरे साथ दीप के घर चल रहे हो। अगर तुम्हें कुछ और काम हो तो तब तक वह खत्म कर लो। हम लोग 7:00 बजे दीप के घर जाएंगे।" रूद्र ने कहा।
"ठीक है.. तो अब मैं चलता हूं। तुम अपना काम खत्म कर लो। मैं ठीक 6:30 बजे बाहर मिलूंगा। उसके बाद हम दीप के घर जाएंगे।" ऐसा कहकर रूद्र उठ खड़ा हुआ।
"ठीक है.. शार्प सिक्स थर्टी हम बाहर मिलेंगे।" मृदुल और चिराग के कन्फर्मेशन के बाद रूद्र वापस चला गया।
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ठीक साढ़े छह बजे मृदुल और चिराग अपने सारे काम खत्म कर के चौकी से बाहर निकल गए। उन्होंने अपनी प्रेस कांफ्रेंस भी जल्दी ही खत्म कर दी थी। रुद्र चौकी के बाहर अपनी ब्लैक पज़ेरो में गाने सुनते हुए मृदुल और चिराग का ही इंतजार कर रहा था।
मृदुल और चिराग दोनों ही उसकी कार में जाकर बैठ गए और चिराग ने पूछा, "कमिश्नर साहब की दीप से बात तो हो गई थी ना..??"
"क्यूँ नही की होगी तो..??" रुद्र ने सवाल किया।
"वो क्या है ना.. इसे बस मौका चाहिए दीप के घर में जाने का। अगर गेट से चौकीदार ने वापस भेज दिया तो बेचारे का दिल टूट जाएगा।" मृदुल ने चिराग की टांग खींचते हुए रुद्र की तरफ देखते हुए कहा।
"ओऽऽऽ..!! लड़की का चक्कर..??" रुद्र ने भी चिराग के मजे लेते हुए कहा।
इस वक्त चिराग बस अपना हाथ सर पर मारने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकता था।
"शक़्ल देखी है इसकी..? लड़की मिलेगी इसे.. ये तो खुद उस घर की बहू बनने के सपने देख रहा है।" मृदुल अब पूरी तरह से चिराग की टांग खिचाई के लिए तैयार था।
"अ..अ..ऐसा कुछ नहीं है..!" चिराग ने अपनी हिचकिचाहट को छुपाते हुए हकला कर कहा।
" मतलब??" रुद्र ने नासमझी से पूछा।
"कोई मतलब नहीं है।" चिराग ने बात काटते हुए कहा।
"मतलब मैं बताता हूं.. वो चिराग को घर और घरवाले बहुत पसंद आ गये हैं।" मृदुल ने हंसते हुए कहा।
"अब समझा..!! मतलब हमारे चिराग को अब लड़के भाने लगे हैं। वैसे पसंद कौन आया इसे.. रनवीर, जीत या फिर वो हैंडसम हंक दीप?" रुद्र ने सवाल किया।
"ऐऽऽऽऽ..!!" चिराग जोर से चिल्लाया।
मृदुल और रूद्र चिराग को देखकर जोर जोर से हंसने लगे।
"तू दीप, जीत और रनवीर को कैसे जनता है..??" मृदुल ने मज़ाक को दरकिनार करते हुए पूछा।
"मैं किसी भी केस को लेने से पहले ही केस की पूरी जन्म कुंडली निकाल लेता हूं।" रूद्र ने शेखी मारते हुए कहा।
"हाँ..! हाँ..!! ज्यादा शेखी मत मार!!" चिराग अब अपने मज़ाक का बदला लेना चाहता था।
"तेरी यही जन्म कुंडली निकालने के कारण ही 25 बार सस्पेंड हो चुका है और शायद सेन्चुरी मारकर ही रुकेगा।" मृदुल ने भी चिराग का साथ दिया।
इस तरह की टांग खिंचाई पर रुद्र ने मुँह फूला लिया। मृदुल और चिराग दोनों ही रुद्र का फूला हुआ मुँह देखकर जोर जोर से हंस रहे थे।
इसी तरह हंसी मजाक करते हुए तीनों दीप के घर के पास पहुँच गए।
मृदुल और चिराग के साथ रुद्र.. दीप के बंगले के बड़े से गेट पर खड़ा था। आज गेट पर एक दूसरा चौकीदार था जो मृदुल और चिराग को नहीं पहचानता था.. इसीलिए उसने दरवाजा नहीं खोला।
गार्ड ने मृदुल से उनके आने के बारे में पूछताछ की और अंदर कॉल लगाकर उन्हें अंदर भेजने के बारे में पूछा। जबाव मिलने पर उसने मृदुल को अंदर जाने के लिए बोल दिया।
"सर.. आप जा सकते हैं कोई प्रॉब्लम नहीं है।" गार्ड ने कहा।
"एक बात बताओ..! रामफूल कहां गया??" चिराग ने उस नये चौकीदार से पूछा।
"साहब उसका तो पता नहीं.. अचानक से नौकरी छोड़ कर चला गया। अब कारण तो रामफूल जाने या मालिक लोग। हमें तो बस इतना पता है कि अब रामफूल नौकरी पर नहीं आएगा। उसकी जगह पर एक नया चौकीदार आया है.. जो रात में ही ड्यूटी करता है।" गार्ड ने बताया।
"ओह..!! अच्छा ठीक है.. तुम दरवाजा खोलो!!" चिराग ने कहा।
चिराग ने रुद्र को बताया, "रामफूल ने इस केस में मृदुल और मेरी बहुत मदद की थी। रामफूल ने अनीता के बारे में बहुत सी बातें बताई थी और साथ ही साथ एक और व्यक्ति के बारे में बताया था.. शंभू..!! शंभू काका का अनीता के गायब होने से 1 महीने पहले से कोई अता पता नहीं। कोई यह भी नहीं जानता कि शंभू काका नौकरी छोड़ कर गया है या फिर छुट्टी पर है। सभी का कहना है कि वह बचपन से यही पला बड़ा है तो उसके घर वालों के बारे में भी किसी को कोई जानकारी नहीं है और सभी नौकरों का यह भी कहना है कि शंभू काका की अनीता से काफी बनती थी.. शंभू काका उसे अपनी बेटी ही मानता था।" मृदुल ने पूरी बात विस्तार से रुद्र को बताई।
रूद्र ने कहा, "ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी और को शंभू काका के बारे में नहीं पता। मुझे लगता है इस बात में भी कोई गहरा राज छुपा है।" रूद्र ने कुछ सोचते हुए जवाब दिया।
"खैर छोड़ो..! फिलहाल तो हम अंदर जाकर कुछ पता करते हैं। वैसे एक बात कहूं.. आज हम सिर्फ पूछताछ करेंगे। क्योंकि इस वक्त शाम हो चुकी है.. कल सुबह जल्दी हम यहां पहुंच जाएंगे ताकि अगर अनीता का कत्ल हुआ हो तो उसके कत्ल का सबूत ढूंढ सकें।" रूद्र ने कहा।
"रूद्र..! मैं तुम्हें एक बात बताना भूल गया। तुमने फाइल पढ़ी थी क्या..??" मृदुल ने पूछा।
"नहीं.. तो क्यों..???"
"हमने फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट से अनीता के कमरे के फिंगरप्रिंट उठवाये थे.. वहां पर दीप के अलावा पांच और लोगों के फिंगरप्रिंट मिले हैं.. जिनमें से एक औरत के हैं। वह पांचो फिंगरप्रिंट किसी भी घरवाले या नौकर के फिंगरप्रिंट से मैच नहीं कर रहे हैं।" मृदुल ने जानकारी दी।
"और यह बात तुम अब मुझे बता रहे हो!! यह बात तो सबसे पहले बताने की थी और जब तुम्हारे पास इस बारे में इतनी ठोस जानकारी थी.. तो तुम्हें यह केस बंद नहीं करना चाहिए था।" रूद्र ने लगभग गुस्से से डांटते हुए मृदुल को कहा।
"सॉरी यार..!! लेकिन केस ऑलमोस्ट डेड एंड पर ही है और कमिश्नर साहब ने भी यही कहा था कि इस केस को बंद ही कर देते हैं। साथ ही साथ दीप में रिटर्न में अपनी कंप्लेंट वापस ले ली थी.. तो हम क्या करते..??" मृदुल ने अपनी असमर्थता जताई।
अब तक वह लोग दीप के बंगले के एंट्रेंस पर पहुंच गए थे। रूद्र, मृदुल और चिराग तीनों जैसे ही गाड़ी से उतरे.. वैसे ही एक गार्ड ने आकर रुद्र से गाड़ी की चाबी मांगी। रूद्र ने हैरान होते हुए मृदुल की तरफ देखा तो मृदुल ने आंखों के इशारे से रुद्र को गाड़ी की चाबी देने के लिए कहा। वह गार्ड चाबी लेकर कार पार्किंग में लगाने चला गया। रुद्र अभी भी थोड़ा कंफ्यूज था और मृदुल की तरफ देख रहा था।
मृदुल ने कहा, "वैले पार्किंग नाम तो सुना ही होगा तुमने..!!" ऐसा कहकर मृदुल और चिराग हंस पड़े।
रूद्र ने घूर कर उन्हे चुप रहने का इशारा किया और अंदर चलने के लिए कहा।
"अगर तुम्हारा बत्तीसी दिखाना हो गया हो तो अंदर चले। कुछ काम कर ले..!!" रूद्र ने गुस्सा दिखाते हुए कहा।
"हां..! हां..! काम तो करना ही है.. काम ही तो करने आए है!!" चिराग ने मुँह दबाकर हंसते हुए कहा।
रूद्र ने उस घर की तरफ देखा तो देखता ही रह गया और उसके मुंह से निकला..
"वाओऽऽऽ..!! क्या घर बनाया है!!"
"मुंह बंद कर ले.. मक्खी घुस जाएगी..!!" चिराग ने टांग खींचते हुए कहा।
"अच्छा..! अब समझ आया कि चिराग इस घर की बहू क्यों बनना चाहता था?? बाहर से जब इतना खूबसूरत है तो अंदर तो क्या ही होगा!!" रूद्र ने उस घर की तारीफ करते हुए कहा।
"हां..!! हां..! पता है.. अब चल अंदर!!" चिराग ने उसे हल्के से झिड़कते हुए कहा।
वह तीनों अंदर चले गए.. अंदर से घर को देखते ही रुद्र की आंखें फटी की फटी रह गई थी।
"यार कितना सुंदर घर है..! आह..! काश मेरा भी ऐसा ही एक घर होता!!" रुद्र ने आहें भरते हुए कहा।
रूद्र का इतना कहने के साथ ही रनवीर वहां आ गया।
"हेलो ऑफिसर्स..!! दीप सर ने बताया कि आप लोग फिर से सब से पूछताछ करना चाहते हो??"
"हां..! यह है एसीपी रूद्र..!! इस केस की फाइनल क्लोजिंग रिपोर्ट यहीं बनाएंगे। तो उससे पहले यह कुछ पूछताछ करना चाहते थे.. इसीलिए आज यह यहां आए हैं। कमिश्नर साहब ने दीप साहब को कॉल करके बता ही दिया होगा कि फाइनल क्लोजिंग रिपोर्ट यहीं बनाएंगे। और उससे पहले यह खुद से इन्वेस्टिगेट करेंगे।" मृदुल ने कहा।
रनवीर ने रूद्र की तरफ देख कर उसकी तरफ हाथ आगे बढ़ाया।
"हेलो ऑफिसर..! मैं रनवीर.. दीप सर का असिस्टेंट। आपको जो भी कुछ जानना हो या जिस से भी कुछ पूछताछ करनी है.. आप मुझे बता दीजिएगा मैं आपकी मीटिंग अरेंज करवा दूंगा।" रनवीर ने कहा।
"हेलो मिस्टर रनवीर..! मुझे सबसे पहले तो आप ही से कुछ पूछताछ करनी है। क्या यह सही समय है..??" रुद्र ने पूछा।
"हां..! हां..! क्यों नहीं आइए.. बैठ कर बात करते हैं।" रनवीर ने सोफे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
तीनों जाकर सोफे पर बैठ गए.. रनवीर भी जल्दी ही उनके सामने रखे सोफे पर आकर बैठ गया। वहीं से रनवीर ने एक किचन हेल्पर को बुलाया और रुद्र की तरफ देखकर पूछा, "आप क्या लेना पसंद करेंगे?? चाय, कॉफी या फिर कुछ ठंडा..??"
"आप तकलीफ ना करें..! हमें बस अपने सवालों के जवाब दे दें.. हमारे लिए इतना ही बहुत है।" रूद्र ने कहा।
तब तक किचन में काम करने वाला बटलर वहां पर पहुंच गया था। रनवीर ने उससे चार कप कॉफी लाने के लिए कहा।
"आप चार कप कॉफी ले आइये.. सबके लिए।"
इतना सुनकर ही वह हेल्पर किचन में चला गया और रनवीर रुद्र की तरफ देख कर बोला, "जी ऑफिसर..!! बताइए क्या जानना चाहते थे आप..??"
"मैं बस यह जानना चाहता था कि आप दीप साहब के साथ कब से काम कर रहे हैं??" रूद्र ने अपना पहला सवाल किया।
"सर..! मैं और दीप कॉलेज फ्रेंड्स थे.. मैं मिडल क्लास फैमिली से था तो कॉलेज खत्म होने के बाद जॉब की तलाश में लग गया। काफी दिन तक जब कोई ठीक जॉब नहीं मिली तो दीप ने ही उसके साथ काम करने का ऑफर दिया। मुझे जॉब की जरूरत थी तो मैं मना नहीं कर पाया।" रनवीर ने जवाब दिया।
"आप अनीता को कितना जानते थे..?? मतलब कैसी औरत थी.. व्यवहार कैसा था और सबसे बड़ी बात यह है कि उनके मिलने जुलने वाले कौन कौन थे??" रूद्र ने अपना अगला सवाल किया।
"सर जब शादी कर के आई थी तो काफी हंसमुख, खुशमिज़ाज और मिलनसार थी। धीरे-धीरे गुस्सैल, चिड़चिड़ी और अजीब से नेचर वाली हो गई थी। ना किसी से बोलना, ना अपने कमरे से बाहर निकलना.. अगर कोई कुछ कहता भी तो उससे लड़ने के लिए तैयार हो जाती थी.. इसीलिए घरवालों ने उससे ज्यादा बातचीत करना बंद ही कर दिया था।" रनवीर ने जवाब दिया।
"एक बात बताओ..! दीप साहब ने कहा था कि वह अपने स्टाफ को वीकली ऑफ देते है?? कब होता है वह ऑफ..??" रूद्र ने अचानक से एक ऐसा सवाल कर दिया जिसे सुनकर रनवीर के चेहरे के एक्सप्रेशन थोड़े बिगड़ गए थे।
उसने लंबी सांस ली और कहा, "एक्चुअली होता यह है कि अधिकतर सैटरडेज को यहां पर लेट नाईट तक बिजनेस गैदरिंग, या कोई गेट टुगेदर, या फिर हम दोस्तों की महफिल जमती रहती है। इसलिए सारा स्टाफ लेट नाइट काम करता है। इसीलिए उन सबको सैटरडे लेट नाइट वर्क के बाद संडे ऑफ दिया जाता है। साथ ही साथ वीक में एक बार हाफ डे भी सभी को मिलता है।" रनवीर ने बताया।
"क्या आपको भी यह सभी ऑफ और हाफ डे मिलते हैं??" चिराग ने पूछा।
"बिल्कुल..! जब सभी को मिलते हैं तो मुझे भी मिलते है।" रनवीर ने कहा।
"और?? और क्या क्या फैसिलिटी आप लोगों को मिलती हैं..??" रुद्र ने पूछा।
"साल में एक बार हॉलीडेज पर जा सकते है.. एक महीने के लिए हमारे होटल्स में फ्री स्टे मिलता है और दिवाली पर 6 महीने का बोनस भी।" रनवीर ने दीप के अच्छे मालिक होने के बारे में बताते हुए उसकी तारीफ की।
"क्या..?? 1 महीने का हॉलीडे और 6 महीने का बोनस?? यार इतना तो हमें गवर्नमेंट जॉब में भी नहीं मिलता..? रनवीर एक बात बताओ तुम लोगों के पास अभी कोई वैकेंसी है क्या..??" चिराग ने मजाक में पूछा।
"क्या यार..! तू कहीं भी शुरू हो जाता है!!" रूद्र ने चिराग को डांटते हुए कहा।
उन लोगों को ऐसे बातें करते देख रनवीर कंफ्यूज्ड था और उन तीनों को देख रहा था। उसे ऐसे देखता देख मुदुल ने कहा, "आप परेशान ना हो.. हम तीनों ट्रेनिंग से ही बेस्ट फ्रेंड्स है तो यह सब चलता है.. हमारे बीच हमारी पोस्ट कभी नहीं आती।" रनवीर हंसा और थोड़ा आश्वस्त दिखाई दिया।
क्रमशः.....
Fareha Sameen
07-May-2022 02:06 PM
Nice
Reply
Punam verma
07-May-2022 08:13 AM
Bahut khoob mam
Reply
Renu
06-May-2022 10:15 PM
👍👍
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Aalhadini
07-May-2022 12:28 AM
🙏🙏
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